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Prem Bhai – Story

मेरे सभी भाइयो से निवेदन है 5मिनट का समय निकाल कर इस कहानी को पढ़े ये एक #हीमोफिलिया से पीड़ित प्रेम भाई की कहानी है और जाने की हीमोफिलिया से पीड़ित को अपनी ज़िंदगी मैं कितना संघर्ष करना पड़ता है और अगर आपको थोड़ा भी महसूस हो तो शेयर जरूर करे प्लीज?,,,, हेलो भाईयों और मेरे प्यारे दोस्तो मेंं अपनी जिंदगी के कुछ पल शेयर करके आप लोगों मेंं बाँट.ना चहता हूँ हाँ मुझे बचपन मेंं एक बार मेरे मुंह मेंं क्र्केट की बॉल लगी काफी दिनो तक खून बहता रहा और कुछ दिनो मेंं बंद हो गया और हाँ कभी 2.मेरे हाथ और पेर मेंं सूजन आ जाती थी और मेरे घऱ वाले मेरा कभी झाड़ फूंक तो कभी देवताओं की परेशानियां मान कर चल रहे थे और जिंदगी मेंं आगे बढ़ गया मेने पढ़ाई के साथ साथ .मेने केमरे रिपेयर का करना चालू कर दिया और2004.मेंं मेरी शादी भी हो गई और और 2011.फरवरी 12ता o.का सीजन था मेंं अपनी शॉप पर केमरे रिपेयर कर रहा था की अचानक मेरे पेर मेंं काफी तेज दर्द होने लगा और मेंं दुकान से घऱ भी नहीं जा पाया मेरी शॉप घऱ से 27km.दूर हें इस लिए मेने सुबह का इंतजार किया सुबह 4बजे घऱ पे पहुंचा मेने अपने घऱ पर बताया की मेंं चल नहीं पा रहा हूँ और मेरे दोनो.पेर से पेट तक दर्द होने लगा मुझे ले जाकर म प्र .मेंं ग्वालियर के जे एच हॉस्पिटल मेंं भर्ती करवा दिया वहां मुझे बताया की आप के पेट मेँ पस (मवाद )पड़ गया हें निकाल.ने के लिए पेट मेँ छेद करके लेजम (पाईप)डाल दी और बोल दिया इसमे से मवाद निकल जाएगा दोस्तों उस समय मेरा वजन था 52kg.और धीरे.मवाद की जगह मेरा खून निकलना चालू हो गया मेँ डॉ को रोज बोलता कि मेरा ब्लड खून से थेली भर गई पर डॉ बोलते आपको लगता हें कि खून हें ये मवाद निकल रहा हें और मेँ धीर धीरे कमजोर होता चला गया और मेँ पंजर .ढांचे मेँ बदल गया मेरा वजन मात्र 18kg .रह गया मेरे हात पेर एक बच्चे जेसे रह गये मुझे ग्वालियर के हास्पिटल मेँ 3.महीने हो गये इस बीच मेँ मेरे बचपन के दोस्त और रिश्तेदारो ने हमारा साथ छोड़ दिया और मेरी धर्म पत्नी और मेरे दो छोटे बच्चे.छोटा बेटा मेरा उस वक्त 3.वर्ष का और बड़ा बेटा 6वर्ष का था मेने दोनों बचों को नानी के पास आगरा भेज दिया उस समय लगा की मेरा समय अब आ गया जाने का पर मेने हिम्मत नहीं हारी और अपने पत्नी से बोला की यहां से मुझे कहीं और दिखाओ फ़िर मुझे (आगरा )के असौपा .हॉस्पिटल मेँ भर्ती करवाया वहां के डाक्टरो ने कहाँ आप का ऑपरेशन कर ना पड़ेगा आप के पेट मेँ मवाद निकल ना पड़ेगा और फ़िर मेरा ऑपरेशन करके 4लाख रू ले लिऐ जब 8दिन हो गये तब मुझे बोला बिस्तर से उठ कर खड़े हो जाओ जबकि मेरी कंडीशन बेठ.ने की भी नहीं बची जब मुझे जबरदस्ती बेठाया गया तो मेरा पेट फटता चला गया और सारे टांके टूट गये खून बहना चालू हो गया और सभी असौपा के डॉक्टर ने मिल कर खून रोकने की कोशिश की लेकिल कमियांबी नहीं मिली और हॉस्पिटल के पिछले गेट से सारे डॉ निकल गये मेने जोर से आवाज लगा कर घऱ बालो को बताया की सारे डॉ पीछे से निकल गए तब एक जूनियर डॉ ने रेपर करके दिल्ली के एक हॉस्पिटल मेँ भेज दिया वहाँ.बताया की आप के दोनों पेर काटने पड़ेंगे और एक किडनी खराब हें वह भी बदल नी पड़ेगी और बदले मेँ किसी की किडनी भी चहिए मेरे ससुर किडनी देने के लिए राजी थे रात नौ बजे मेरा ऑपरेशन होना था की अचानक मेरे जो डॉक्टर ऑपरेशन कर रहे थे वो आकर बोलते हें की आप अपना ये पेसे वापस लो और इन पेसे से इनके बच्चों की देख भाल .करना और इनको घऱ ले जाओ और सेवा करो ये केवल 2/3दिन के लिए हें जब मुझे एम्बु लेंस से घऱ मेरे गाँव ले जा रहे थे तो मुझसे मेरी आखरी इच्छा पूछी तो मेने बताया मुझे फ़िर से ग्वालियर के जे एच .हॉस्पिटल मेँ भर्ती करवा दो अब वहां के डॉ मुझे एड्मिड नहीं कर रहे पर मेरी रिक्वेस्ट पर मुझे भर्ती कर लिया अब मुझे रोज 1बोतल खून की जरूरत पड़ती खून देने की वजह से सारे दोस्त और चार भाई जो मुझसे बड़े हेंसभी ने मेरा साथ छोड़ दिया ग्वालियर मेँ डॉ बोलते जिस दिन खून की बोतल नहीं मिला समझ तू गया फ़िर भी दोस्तो मुझे 30 दिन रोज एक खून की बोतल मिलती जिन्हों ने मुझे खून दिया उनका कर्ज़ मेँ जीवन मेँ कभी नहीं चुका सकता फ़िर एक दिन ऎसा आया कि कोई खून देने नहीं आया मेने समझा आज मेरा आखरी वक्त आ गया मगर दोस्तों मुझे अपने दोनों बचों कि बहुत याद आती थी मगर मेंं क्या करता भाई मेने 4 महीने हो गये एक ही करवट लेटे लेटे मेरे शरीर मेंं छेद हो गये ओर एक नली पेशाब मेंं डली थी ओर एक मुंह मेंं ऑक्सीजन की नली ओर पता नहीं क्या क्या पर मेने अपने साले को फोन करके बोला की आज मेरे बच्चों से मुझे मिला दो अब मेंं जीना नहीं चाहता मेरे बच्चों को लेकर बस मेंं एक इंसान मिला साले को ओर पूछा भाई आप क्यो रो रहे हो साले ने उनको बताया की खून बंद नहीं हो रहा तब उस बन्दे ने बताया की उनको हिमौफिलिया तो नहीं मेने अपने डॉ को बताया की सर ये हीमोफीलीया क्या होता हें कहीं मुझे ये बिमारी तो नहीं उन्हों ने मेरी ब्लड की जाँच करवाई तब पता चला की मुझे भी यही बिमारी हें फ़िर हमने एक फेक्टर खरीद कर लगवाया तो रात भर ब्लड बंद रहा सुबह फ़िर चालू हो गया फ़िर किसी ने sn.हॉस्पिटल का पता दिया वहां मुझे 2 दिन मेंं 16फेक्टर लगे मुझे बहुत आराम मिला ओर मेंं एक महीने के लिया पहली बार हॉस्पिटल से घऱ आ गया ओर एक महीने बाद जब मुझे जोर से खाँसी आई तो पेट के टांकों मेंं फ़िर खून आ गया फ़िर मुझे किसी ने लोक नायक मेंं भर्ती करवा दिया वंहा पर मुझे 1 महीने मेंं 96फेक्टर लगे ओर मेंं एक महीने मेंं बिलकुल ठीक हो गया मेरे दोनों पेर एक सही हो गये ओर मेरा वजन 52 kg.लेकर मेंं अपने घऱ आ गया दोस्तों आज मेंं अपने दोनों बचों ओर पत्नी के साथ खुशी से अपनी जिंदगी गुजार रहा हूँ दोस्तों आज मेरे मन से बहुत बड़ा बोझ कम हो गया हें की मेने आप बीती आप सब को सुनाई !

This Post Has One Comment

  1. Sandeep kumar

    Bhut osm life struggle rha apka…. Ur a brave man….. My cousin brother also… Have hemophilia i undustand your painful life….

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